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Hartalika Teej 2023 Date & Time, Shubh Muhurat,Puja Vidhi

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Hartalika teej 2023 date and time|Hartalika Teej 2023 Puja Vidhi and time|hartalika teej 2023 parana time|Hartalika teej 2023 puja time in hindi:हरतालिका तीज हर साल भाद्रमास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है और इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के साथ कुंवारी कन्‍याएं भी अच्‍छा पति पाने के लिए करती हैं। मान्‍यता है इस व्रत को करने के बाद ही माता पार्वती को भगवान शिव पति के रूप में मिले थे। इस दिन दिन व्रत करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्‍न होकर सुहागिनों को अखंड सौभाग्‍य का आशीर्वाद देती हैं। आइए आपको बताते हैं हरतालिका तीज का महत्‍व, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि।

8 सितंबर 2023 को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा. विवाहिता इस दिन 24 घंटे का निर्जला व्रत कर पति की लंबी आयु की की कामना करती है. इस व्रत में सुहागिनें और कुंवारी लड़किया रात्रि जागरण कर शंकर, पार्वती की पूजा करती हैं|इस साल हरतालिका तीज व्रत बहुत खास संयोग लेकर आ रहा है, जो स्त्रियों को कई गुना लाभ देगा. आइए जानते हैं हरतालिका तीज व्रत मुहूर्त, शुभ योग और क्यों किया जाता है व्रत

Hartalika Teej 2023

हरतालिका तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. साथ ही ये व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है. हरतालिका तीज हरियाली और कजरी तीज के बाद मनाई जाती है. इस बार हरतालिका तीज 18 सितंबर को मनाई जाएगी|

हिंदू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस बार हरतालिका तीज 18 सितंबर, सोमवार को मनाई जाएगी. इसको हरितालिका तीज और हरतालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व का संबंध शिव जी से है और ‘हर’ शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज ज्यादा उपयुक्त है. महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती हैं. मुख्य रूप से ये पर्व मनचाहे और योग्य पति को प्राप्त करने का है, हालांकि कोई भी स्त्री ये रख सकती है. इसी दिन हस्तगौरी नामक व्रत को करने का विधान भी है जिसको करने से संपन्नता की प्राप्ति होती है. 

पति की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए हर साल देश में हरतालिका तीज का व्रत  रखा जाता है. इस दिन विवाहित महिलाओं के साथ-साथ अविवाहित कन्याएं भी व्रत करती हैं और भोलेनाथ से मनवांछित वर की कामना करती हैं. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ-साथ मां पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है और कठिन निर्जला व्रत किया जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे सोलह श्रृंगार करती हैं और मां पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करती हैं और इससे उनको पति की लंबी उम्र और यश का वर मिलता है. इस बार हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर यानी सोमवार के दिन रखा जाएगा. यहां जानिए हरतालिका तीज के व्रत और पूजा का शुभ मुहूर्त, साथ ही जानिए पूजा की विधि.

हरतालिका तीज का महत्‍व

हरतालिका तीज का महत्‍व बहुत ही खास माना जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे खास और कठिन माना गया है। मान्‍यता है कि भाद्रमास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया को माता पार्वती ने मिट्टी का शिवलिंग बनारक भगवान की पूजा की और कठोर तप किय था। उनकी पूजा प्रसन्‍न होकर भगवान शिव ने उनको अपना जीवनसाथी चुना। तब से इस दिन को सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए हरतालिका तीज के रूप में मनाती हैं और निर्जला व्रत करती हैं।

हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज का आरंभ 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 8 पर होगा और इसका समापन दोपहर में करीब 12 बजकर 39 मिनट पर होगा। उदया तिथि की मान्‍यता के अनुसार यह व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा। हर‍तालिका तीज की सुबह की पूजा सुबह 6 बजे से रात को 8 बजकर 24 मिनट पर होगी। उसके बाद शाम को प्रदोष काल में महिलाएं सजधजकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।

हरतालिका तीज की पूजाविधि

महिलाएं सुबह संकल्‍प लेकर हरतालिका तीज का व्रत आरंभ करें। इस दिन महिलाओं को स्‍नान के बाद नए वस्‍त्र पहनने चाहिए। उसके बाद महिलाओं को अपने हाथ पर मेंहदी रचानी चाहिए और संपूर्ण श्रृंगार करें। इस व्रत को रखने वाली महिलाएं सौभाग्‍य को प्राप्‍त करती हैं और पति की आयु लंबी होती है। इस व्रत को रखने वाली कुछ महिलाएं पति अपनी सास को सुहाग का सामान भी भेंट में देती हैं। इस व्रत को करने से पति की सेहत अच्‍छी रहने के साथ ही आयु भी लंबी होती है। इस व्रत को करने वाली महिलाओं को रात में सोने की बजाए रात्रि जागरण करनी चाहिए।

कैसे करें हरतालिका व्रत के दौरान पूजा

इस दिन सुबह उठकर नहा धोकर पूजा का संकल्प लें. इस दिन व्रत की शुरुआत सुबह से ही कर दी जाती है. हरतालिका तीज में पूजा प्रदोष काल (Pradosh Kaal) यानी शाम के समय में होती है. दिन भर प्रभु स्मरण करें और सूर्यास्त के बाद साफ चौकी पर भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति स्थापित करें. अब गंगाजल और पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें. अब भगवान शिव को चंदन, मौली, अक्षत, धतूरे के बीज आक के फूल, गुलाल, अबीर अर्पित करें. अब मां पार्वती को भी तिलक करें और फिर धूप दीप जलाकर दोनों की पूजा करें. अब मिठाई, फल और पकवान से भगवान को भोग लगाएं और आरती करें. मां पार्वती को सुहाग की सारी सामग्री अर्पित करें. इसके बाद हरतालिका तीज व्रत की कथा सुनें. 

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हरतालिका तीज 2023 पूजा मुहूर्त (Hartalika Teej 2023 Muhurat)

भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि शुरू – 17 सितंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 08

भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि समाप्त – 18 सितंबर 2023 को 12 बजकर 39

  • हरतालिका तीज मुहूर्त – सुबह 06.07 – सुबह 08.34 (18 सितंबर 2023)
  • प्रदोष काल मुहूर्त – शाम 06.23 – 06.47

हरतालिका तीज 2023 रात्रि चार प्रहर मुहूर्त (Hartalika Teej 2023 Char Prahar Puja time)

  • पहले प्रहर की पूजा – शाम 06.23 – रात 09.02
  • दूसरे प्रहर की पूजा – रात 09.02 – प्रात: 12.15, 19 सितंबर
  • तीसरे प्रहर की पूजा – प्रात: 12.15 – प्रात: 03.12 (19 सितंबर)
  • चौथे प्रहर की पूजा – प्रात: 03.12 – सुबह 06.08 (19 सितंबर)

हरतालिका तीज 2023 शुभ योग (Hartalika Teej 2023 Shubh Yoga)

इस साल हरतालिका तीज का व्रत रवि योग, इंद्र योग के संयोग में रखा जाएगा. खास बात ये है कि हरतालिका तीज के दिन सोमवार पड़ रहा है. ये व्रत और सोमवार का दिन दोनों ही शिव जी को समर्पित है. ऐसे में हरतालिका तीज की पूजा से महादेव बहुत प्रसन्न होंगे.

  • इंद्र योग – 18 सितंबर 2023, सुबह 04.28 – 19 सितंबर 2023, सुबह 04.24
  • रवि योग – 18 सितंबर 2023, 12.08 – 19 सितंबर 2023, सुबह 06.08
  • सोमवार का दिन

कैसे पड़ा हरतालिका तीज व्रत का नाम (Hartalika Teej Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार देवी पार्वती मन ही मन शिव जी को अपना पति मान चुकी थी लेकिन उनके पिता जी ने उनका विवाह विष्णु जी से तय कर दिया था. ऐसे में पार्वती जी की सहेलियां उनका अपहरण कर जंगल में ले गईं. जहां माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए कठोर तप किया, भूखे प्यासे रहकर साधना करती रही. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन देवी पार्वती ने मिट्‌टी के शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा. शिव जी माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी स्वीकार कर लिया. माता पार्वती की सहेलियां उनका हरण कर जंगल में लाईं थी इसलिए इस व्रत को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता ह|