केंद्र सरकार जल्द ही ‘मेरा बिल मेरा अधिकार’ योजना को शुरू करने जा रही है. इसके जरिए जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) के तहत खरीदे गए सामान की जीएसटी इनवॉइस अपलोड करने वालों को कैश प्राइज जीतने का मौका मिलने वाला है. ये कैश प्राइज 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक का हो सकता है. इसके अंतर्गत आम लोगों को जल्द ही एक मोबाइल ऐप पर जीएसटी चालान अपलोड करने के लिए इनाम मिल सकता है|
हम जब भी कहीं खाते-पीते या कुछ खरीदते हैं, तो जीएसटी (GST) का भुगतान भी करते हैं. हमें हमारे किए द्वारा गए भुगतान का बिल भी दिया जाता है. हम आमतौर पर उस बिल को यूं ही बेकार समझकर फेंक देते हैं. लेकिन, अब ऐसा करने की गलती न भूलकर भी न रखें. कोई चीज खरीदने या किसी सेवा के इस्तेमाल के बाद मिला बिल आपको 10,000 रुपये से एक करोड़ रुपये तक दिलवा सकता है. यह संभव होगा सरकार की ‘मेरा बिल मेरा अधिकार’ (Mera Bill Mera Adhikar Scheme) योजना से. लोगों में हर बार खरीदारी करते समय बिल मांगने की आदत विकसित करने के लिए सरकार एक सितंबर से छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ‘मेरा बिल मेरा अधिकार’ प्रोत्साहन लॉन्च करेगी. खरीदारी के बिलों को अपलोउ करने के लिए एक मोबाइल ऐप बनाया जा रहा है. ऐप पर अपलोड बिलों को एक लक्की ड्रॉ में शामिल कर लोगों को नकद इनाम दिया जाएगा|
Mera Bill Mera Adhikar Scheme
मामले की जानकारी रखने वाले दो अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि चालान प्रोत्साहन योजना के तहत रिटेल या होलसेल कारोबारी से मिले बिल (इनवॉइस) ऐप पर ‘अपलोड’ करने वाले लोगों को 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक का कैश पुरस्कार दिया जा सकता है. उन्होंने बताया कि योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसे जल्द जारी किया जा सकता है|
इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए ‘मेरा बिल मेरा अधिकार’ नाम से ऐप लॉन्च होगा. यह ऐप आईओएस और एंड्रॉयड दोनों मंच पर उपलब्ध होगा. इसी ऐप पर बिल अपलोड करने होंगे. ऐप पर अपलोड किए गए इनवॉइस में विक्रेता का जीएसटीआईएन, इनवॉइस नंबर, भुगतान की गई राशि और कर राशि की जानकारी होनी चाहिए. एक व्यक्ति एक महीने में अधिकतम 25 बिल अपलोड कर सकता है. बिल का न्यूनतम मूल्य 200 रुपये होना चाहिए|
क्या हैं नियम
इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए ग्राहक को अपने जीएसटी बिल को ऑनलाइन अपलोड करना होगा. अप्लाई करते वक्त ग्राहक को अपनी सभी डीटेल्स को सही तरीके से भरना होगा. डीटेल्स भरने के बाद बदलाव की गुंजाइश नहीं होगी. इसके बाद ग्राहक कम से कम 200 रुपए का बिल सब्मिट करना जरूरी है. स्कीम के लिए अप्लाई करते वक्त कुछ डॉक्यूमेंट जैसे पैन कार्ड, बैंक अकाउंट की जानकारी और आधार कार्ड आदि अपलोड करने पड़ सकते हैं. व्यक्ति एक महीने में 25 जीएसटी बिल ही अपलोड कर सकता है. अपलोड किए गए इनवॉयस में विक्रेता का जीएसटीआईएन, इनवॉयस नंबर, भुगतान की गई राशि और कर राशि का विवरण होना चाहिए.
कैसे दिया जाएगा कैश प्राइज
ये बिल मंथली या क्वार्टरली यानी मासिक या त्रैमासिक आधार पर लकी ड्रा में जा सकते हैं. इसके लिए सरकार ने कुछ शर्तों को भी लागू करने की बात की है जैसे कि हर महीने 500 लकी ड्रा कंप्यूटर की सहायता से निकाले जाएंगे जिसमें ग्राहकों को लाखों रुपये का इनाम मिल सकता है. इसके अलावा हर तीन महीने में ऐसे 2 लकी ड्ऱॉ होंगे जिनमें 1 करोड़ रुपये तक का प्राइज जीतने का मौका मिल सकता है|
‘मेरा बिल मेरा अधिकार’ ऐप आईओएस और एंड्रॉइड दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगा.
ऐप पर अपलोड किए गए ‘इनवॉइस’ में कारोबारी का जीएसटीआईएन (GSTIN) इनवॉइस नंबर, पेमेंट की गई रकम और टैक्स राशि की जानकारी साफ-साफ लिखी होनी चाहिए|
एक अधिकारी ने कहा कि एक व्यक्ति एक महीने में अधिकतम 25 बिल ‘अपलोड’ कर सकता है. हर एक बिल की कम से कम राशि 200 रुपये होनी चाहिए.
क्यों लाई जा रही है ये स्कीम
इस स्कीम को इसलिए लाया जा रहा है जिससे ग्राहक अपनी खरीदी गई वस्तु के जरिए बिल लेने के लिए प्रोत्साहित हो सकें और ज्यादातर कारोबारी इसका पालन करें. जीएसटी इनवॉइस ज्यादा से ज्यादा जेनरेट होंगे तो कारोबारी टैक्स चोरी से बच सकेंगे.