bal mitra yojana ka uddeshya:लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के पीडितों के लिए सपोर्ट पर्सन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा बाल मित्र योजना 2020 संचालित है। जिसके अंतर्गत योग्यताधारी व्यक्तियों का पैनल तैयार किया जाना है। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन केएससीएफ बजाज फाउंडेशन व गायत्री सेवा संस्थान जीएसएस के साझा प्रयासों से बच्चों के लिए अनुकूल राजस्थान बनाने की दिशा में एक और कदम उठाया गया है। अपराध में लिप्त नाबालिगों और बाल श्रम की बेडिय़ों से मुक्त हुए बच्चों के लिए जिले के पीपलखूंट और पारसोला में बाल मित्र थाने बनाए गए हैं। बुधवार को पीपलखूंट थाना अब बाल मित्र थाना बन गया है। इस थाने के बाल मित्र कक्ष का उद्घाटन स्थानीय विधायक श्री मान हरेन्द्र जी निनामा ने किया।
बाल मित्र कक्ष में प्ले ग्रुप स्कूल की तरह पेंङ्क्षटग्स, खिलौने, बच्चों की रुचि वाली पुस्तकें, टीवी, बिस्तर व अन्य मनोरंजन सामग्री उपलब्ध है। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन द्वारा शुरू की गई बाल मित्र थाना की अवधारणा का मुख्य उद्देश्य पुलिस थानों में बच्चों को एक ऐसा सकारात्मक माहौल देना है। जो किसी न किसी रूप में अपराध में लिप्त पाए जाते हैं। इसके पीछे मंशा यह है कि इन बच्चों को ऐसा अनुकूल वातावरण दिया जाए। जिससे वह अपने जीवन के नकरात्मक पहलुओं को भुलाकर जीवन में आगे बढ़ कर बेहतर कर सकें।
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राजस्थान के 20 पुलिस थानों के अंदर ही एक बाल मित्र थाना (Bal Mitra Police Station) होगा. यहां अलग कमरा होगा जिस पर बाल मित्र थाना लिखा होगा और यहां बिना वर्दी में पुलिसकर्मी बैठेंगे|राजस्थान (Rajasthan) में लगातार बच्चों से जुड़े अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है, चाहे वो रेप (Rape) के मामले हों, मानव तस्करी (Human Trafficking) हो या बाल श्रम (Child Labor). अब इन अपराधों पर कार्रवाई कर पुलिस लगाम लगाने में जुटी हुई है. इन मामलों में बच्चे सबसे ज्यादा परेशान होते हैं. बच्चे थाने पर जाते हैं तो उनकी मानसिकता पर गलत प्रभाव पड़ता है, वो डरते हैं, सहम जाते हैं|
इसी को लेकर बाल आयोग और कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन (Kailash Satyarthi Foundation) ने पुलिस के साथ मिलकर नई पहल शुरू की है. पहल ये है कि प्रदेश के 20 पुलिस थानों के अंदर ही एक बाल मित्र थाना (Bal Mitra Police Station) होगा. यानी एक अलग कमरा होगा जिस पर बाल मित्र थाना लिखा होगा और यहां बिना वर्दी में पुलिसकर्मी बैठेंगे. बाल मित्र थाने में बच्चों से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं होंगी जिसके लिए कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की तरफ से सहायता बजट दिया जाएगा. इसकी शुरुआत उदयपुर से की जा रही है.|
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बता दें कि, कुछ महीने पहले बच्चों से जुड़े मुद्दे पर उदयपुर में कार्यशाला हुई थी जिसमें अपने संबोधन में उदयपुर (Udaipur) में तैनात डीएसपी चेतना भाटी (Chetna Bhati) ने ये सुझाव दिया था. उन्होंने कहा था कि महिला थाना की तर्ज पर बाल मित्र थाना बनना चाहिए जिसमें एनजीओ और बाल अधिकारिता विभाग के बड़े अधिकारी उपस्थित थे|
बाल मित्र थाना कक्ष बनाने की कवायद शुरू
राजस्थान बाल आयोग के सदस्य शैलेन्द्र पंड्या ने बताया कि कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के सहयोग से थाने के अंदर ही बाल मित्र थाना कक्ष बनाने की कवायद शुरू की गई है. इसके लिए उदयपुर एमपी मनोज कुमार को पत्र भी दिया है और प्राथमिक रूप से मानव तस्करी विरोधी यूनिट थाने का चयन भी कर लिया है. उन्होंने आगे बताया कि उदयपुर जिले के बाद संभाग के अन्य जिलों और फिर प्रदेश में भी ऐसे थाने बनेंगे. पंड्या ने आगे बताया कि वर्तमान में हर थाने में बाल मित्र डेस्क बनाई है और एएसआई रैंक के अधिकारी को बाल मित्र अधिकारी बनाया गया है. अधिकारी बिना वर्दी के रहते हैं और बच्चों से जुड़े मामले देखते हैं. हालांकि, परेशानियां भी हैं क्योंकि ये प्रोसेस सुचारू रूप से चल नहीं पाता है|
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इसका उद्देश्य बच्चों एवं उनके अधिकारों से संबंधित विभिन्न मामलों पर प्रामाणिक जानकारी प्रदान करना और इसके माध्यम से रिपोर्ट किये गए मामलों की गोपनीयता सुनिश्चित करना है। इसकी प्रमुख विशेषताओं में शिकायत पंजीकरण, जानकारी प्राप्त करना, शिकायत की स्थिति पर नज़र रखना शामिल हैं।