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Chitragupta Puja 2023 Date:जानिए चित्रगुप्त पूजा कब है?शुभ मुहूर्त पूजा विधि की जानकारी

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chitragupta puja 2023 timings:कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में द्वितीया अर्थात दीपावली से दूसरे दिन जब भैया दूज का पर्व मनाया जाता है तभी  भगवान चित्रगुप्त का भी पूजन किया जाता है. भगवान चित्रगुप्त संसार के मनुष्यों के कर्मों का लेखा जोखा रखने वाले यमराज के सहयोगी हैं. भगवान चित्रगुप्त के साथ ही उनके प्रतीक कलम और दावात का भी पूजन किया जाता है. मान्यता है कि दूज के दिन विधि विधान से भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने वाले को मृत्यु के बाद नरक की प्रताड़ना नहीं भोगनी पड़ती हैं|

चित्रगुप्त पूजा दिवाली के बाद मनाई जाती है, जो कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है. इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है. भगवान चित्रगुप्त पृथ्वी पर मनुष्यों द्वारा किए गए अच्छे और बुरे कार्यों के अभिलेखों के संरक्षक हैं. जब कोई व्यक्ति मृत्यु के बाद यमलोक में प्रवेश करता है|

तो अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर उन्हें स्वर्ग या नरक में डाल दिया जाता है. अच्छे और बुरे कामों का हिसाब-किताब भगवान चित्रगुप्त ही रखते हैं. इस दिन कायस्थ परिवार के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं और कलम-स्याही के बर्तन की भी पूजा की जाती है. इस दिन कायस्थ समाज के लोग न कागज उठाते हैं और न ही कलम. आइए जानते हैं इस साल चित्रगुप्त पूजा कब मनाई जाएगी|

chitragupta puja 2023

Chitragupta Puja 2023 Date: भगवान चित्रगुप्त के साथ ही उनके प्रतीक कलम और दावात का भी पूजन किया जाता है. मान्यता है कि दूज के दिन विधि विधान से भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने वाले को मृत्यु के बाद नरक की प्रताड़ना नहीं भोगनी पड़ती हैं|हर साल कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज के साथ भगवान चित्रगुप्त की पूजा-आराधना भी की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यमराज के सहयोगी चित्रगुप्त संसार में मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं।

इस दिन चित्रगुप्त जी के साथ कलम और दावात की भी पूजा का विधान है। कहा जाता है कि ऐसा करने पर जातक को मृत्यु के पश्चात विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे नर्क के कष्ट नहीं झेलने पड़ते हैं। तो यहां जानिए साल 2023 में चित्रगुप्त पूजा की तारीख, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजाविधि।

चित्रगुप्त पूजा 2023 डेट (Chitragupta Puja 2023 Date)

पंचांग के अनुसार इस साल चित्रगुप्त पूजा 14 नवंबर 2023 मंगलवार को है. कहते हैं इस दिन भगवान चित्रगुप्त का स्मरण करने से कार्य में उन्नति, आकर्षित वाणी और बुद्धि में वृद्धि का वरदान प्राप्त होता है|

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चित्रगुप्त पूजा 2023 मुहूर्त (Chitragupta Puja 2023 Muhurat)

पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगी और अगले दिन 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन राहुकाल को छोड़कर किसी भी शुभ मुहूर्त में पूजा की जा सकती है.

  • सुबह का मुहूर्त – सुबह 10.48 – दोपहर 12.13
  • अभिजित मुहूर्त – सुबह 11.50 – दोपहर 12.36
  • अमृत काल मुहूर्त – शाम 05.00 – शाम 06.36
  • राहुकाल समय – दोपहर 03.03 – शाम 04.28

चित्रगुप्त पूजा महत्व (Chitragupta Puja Significance)

मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी की काया हुआ था, कायस्थ समाज इन्हें अपना आराध्य मानता है. इस दिन कारोबार से जुड़े काम का लेखा-जोखा चित्रगुप्त के समक्ष रखा जाता है, मान्यता है चित्रगुप्त की पूजा से व्यवसाय में बरकत बनी रहती है.

भगवान चित्रगुप्त की पूजा विधि (Chitragupta Puja Vidhi)

चित्रगुप्त पूजा के दिन सुबह स्नान के बाद एक चौकी पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर स्थापित करें. रोली, अक्षत्, फूल, मिठाई, फल उन्हें अर्पित किया जाता है. इस मौके पर पुस्तक और कलम की पूजा भी की जाती है. एक कागज पर पंचदेवता का नाम लिखें और ये मंत्र बोलें –

मषीभाजन संयुक्तश्चरसित्वं! महीतले।

लेखनी- कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोऽस्तुते। ।

चित्रगुप्त! नमस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकम्।

कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त! नमोऽस्तुते।।

इसके बाद एक सफेद कागज पर स्वस्तिक बनाकर उस पर अपनी आय और व्यय का विवरण देकर उसे चित्रगुप्त जी को अर्पित कर पूजन करें और अंत में आरती कर दें.

चित्रगुप्त पूजा का महत्व

चित्रगुप्त की पूजा कायस्थ परिवार के सदस्यों द्बारा इसलिए की जाती है क्योंकि इस दिन पूजा करने से ज्ञान साक्षरता, शाति का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सभी लोग शिक्षा और साक्षरता के मूल्य पर जोर देने के लिए किताबें, कलम और स्याही के बर्तन जैसी वस्तुओं की भी पूजा करते हैं. बताया जाता है कि कमाने वाले परिवार के सदस्य पूजा के दौरान भगवान चित्रगुप्त को अपनी लॉगबुक देते हैं और अपने घर के भरण-पोषण के लिए आवश्यक राशि के अलावा साल भर में प्राप्त होने वाली आय को दर्ज करते हैं|